वन्दे मातरम....नूतन वर्षाभिनंदन....
फिसल गया वक्त मुट्ठी से रेत के मानिंद...
बीते पल का गम या आने वाले पल की खुशियाँ ...
मनाओ आज भी ...कल भी....
फिर मनाएंगे मातम गुजर गए पल का...कुछ लोग...
नव पल की खुशियों में खो जायेंगे कुछ लोग....
नहीं बदला समय बहुतों के लिए...
जिन्हें -
कल भी कल की चिंता थी...
आज भी कल की चिंता है...
कल भी कल की चिंता रहेगी...
क्या हम उनके लिए कुछ बदल पाएंगे कल ...?
क्या दे पाएंगे उन्हें हम आस...?
एक बेहतर कल की....
well, bahut barhiya... naye saal mein kuchh behtari ki ummeed ke saath badhai....
जवाब देंहटाएंaakarshan