गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

"एक और क्रांति का सूत्रपात..."

 

सदियाँ बीत गयी क्रान्ति होते हुए...
हर जमीं पर क्रांति का आगाज होता है..
नयी राजसत्ता आती है ! 
बदलाव आता है चेहरों में ! 
मगर बदलता कुछ नहीं ! 
आम आदमी कल भी सड़क पर था ! 
आज भी और कल भी रहेगा...! 
सूत्रपात होगा फिर एक क्रान्ति का... ! 
एक नए चेहरे के लिए ! 
नयी व्यवस्था के लिए ! 
मगर बदलेगा कुछ नहीं ! 
आदमी वहीँ खड़ा देखता रहेगा - 
बदलते चेहरे ! बदलती व्यवस्था ! 
खुनी राजप्रासादों में नए षड्यंत्र ! 
कुछ और ऊँची दीवारें...!
कुछ और बौने आदमी और उनकी तुच्छ लिप्साएं...! 
देखते सहते फिर होगा एक और क्रांति का सूत्रपात...!
एक और क्रांति का सूत्रपात...! !

http://vishwagatha.blogspot.com/2011/02/blog-post_14.html 

 में प्रकाशित मेरी रचना ....